समयाभाव के कारण अब लगातार लिखने की आदत न रही होने के बावजूद कभी-कभी बेहद आंदोलित या खुश महसूस करता हूं, तो मन अपने-आप ही कुछ लिख देने को आतुर हो उठता है...
चलो कभी-कभी तो जनता आँख खोलकर भी वोटिंग करती है, पता चल गया।प्रणाम
चलो कभी-कभी तो जनता आँख खोलकर भी वोटिंग करती है, पता चल गया।
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