आइए सुनते हैं, समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता अमर सिंह के साथ टेलीफोन पर हुई विभिन्न कॉरपोरेट हस्तियों, शीर्ष राजनीतिज्ञों और बॉलीवुड हस्तियों की बातचीत की रिकॉर्डिंग, जिसे सार्वजनिक करने पर लगी रोक बुधवार, 31 मई, 2011 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने हटा दी है... हमारे पास सभी 23 टेप हैं, जिन्हें आप यहां सुन सकते हैं...
न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति एके गांगुली ने अमर सिंह की टेलीफोन पर हुई बातचीत की टैप की गई सामग्री प्रसारित अथवा प्रकाशित करने को लेकर मीडिया पर लगाई गई रोक को हटाते हुए सिंह की ओर से दाखिल याचिका को खारिज करने के साथ ही गत 27 फरवरी को दिए गए अपने उस अंतरिम आदेश को भी वापस ले लिया, जिसमें उसने मीडिया को अमर सिंह की बातचीत से संबंधित टैप सामग्री को सार्वजनिक नहीं करने को कहा गया था... साथ ही पीठ ने यह भी कहा कि हासांकि अमर सिंह ने इस मामले में अदालत से तथ्यों को छिपाया है, परंतु वह अपना फोन अवैध रूप से टैप करने के लिए रिलायंस इन्फोकॉम के खिलाफ मामला दायर कर सकते हैं... पीठ की ओर से फैसला लिखने वाले न्यायमूर्ति गांगुली ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार या उसके किसी विभाग के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता, क्योंकि सिंह का टेलीफोन टैप करने में वे शामिल नहीं थे...
पीठ ने 29 मार्च, 2011 को अमर सिंह की ओर से दायर याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, क्योंकि वह उनका (सिंह) और गैर-सरकारी संगठन द सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) का पक्ष सुनना चाहती थी... सीपीआईएल ने सिंह की ओर से दाखिल याचिका का विरोध करते हुए उनकी सभी टैप बातचीतों को सार्वजनिक करने का आदेश देने की मांग की थी... उच्चतम न्यायालय ने 27 फरवरी, 2006 को इलेक्ट्रॉनिक चैनलों और प्रिंट मीडिया पर सिंह सहित सभी की बातचीत की टेपों की सामग्री के प्रकाशन और प्रसारण पर रोक लगा दी थी... जब सिंह की टेलीफोन बातचीतों को टैप किया गया था, उस समय वह समाजवादी पार्टी के महासचिव थे... उन्होंने इससे पहले कांग्रेस एवं निजी टेलीकॉम प्रदाता कंपनी रिलायंस इन्फोकॉम पर टैपिंग में हाथ होने के आरोप लगाए थे, परंतु बाद में कांग्रेस के खिलाफ लगाए आरोपों को वापस ले लिया था...
न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति एके गांगुली ने अमर सिंह की टेलीफोन पर हुई बातचीत की टैप की गई सामग्री प्रसारित अथवा प्रकाशित करने को लेकर मीडिया पर लगाई गई रोक को हटाते हुए सिंह की ओर से दाखिल याचिका को खारिज करने के साथ ही गत 27 फरवरी को दिए गए अपने उस अंतरिम आदेश को भी वापस ले लिया, जिसमें उसने मीडिया को अमर सिंह की बातचीत से संबंधित टैप सामग्री को सार्वजनिक नहीं करने को कहा गया था... साथ ही पीठ ने यह भी कहा कि हासांकि अमर सिंह ने इस मामले में अदालत से तथ्यों को छिपाया है, परंतु वह अपना फोन अवैध रूप से टैप करने के लिए रिलायंस इन्फोकॉम के खिलाफ मामला दायर कर सकते हैं... पीठ की ओर से फैसला लिखने वाले न्यायमूर्ति गांगुली ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार या उसके किसी विभाग के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता, क्योंकि सिंह का टेलीफोन टैप करने में वे शामिल नहीं थे...
पीठ ने 29 मार्च, 2011 को अमर सिंह की ओर से दायर याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, क्योंकि वह उनका (सिंह) और गैर-सरकारी संगठन द सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) का पक्ष सुनना चाहती थी... सीपीआईएल ने सिंह की ओर से दाखिल याचिका का विरोध करते हुए उनकी सभी टैप बातचीतों को सार्वजनिक करने का आदेश देने की मांग की थी... उच्चतम न्यायालय ने 27 फरवरी, 2006 को इलेक्ट्रॉनिक चैनलों और प्रिंट मीडिया पर सिंह सहित सभी की बातचीत की टेपों की सामग्री के प्रकाशन और प्रसारण पर रोक लगा दी थी... जब सिंह की टेलीफोन बातचीतों को टैप किया गया था, उस समय वह समाजवादी पार्टी के महासचिव थे... उन्होंने इससे पहले कांग्रेस एवं निजी टेलीकॉम प्रदाता कंपनी रिलायंस इन्फोकॉम पर टैपिंग में हाथ होने के आरोप लगाए थे, परंतु बाद में कांग्रेस के खिलाफ लगाए आरोपों को वापस ले लिया था...
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